यह फिल्म जंगल और इंसान के बीच दूरी बनाकर रखने और उसमें रहने वाले जानवर और इंसान के बीच की कहानी के ऊपर आधारित है। जिस तरह इंसान अपने घर म...
यह फिल्म जंगल और इंसान के बीच दूरी बनाकर रखने और उसमें रहने वाले जानवर और इंसान के बीच की कहानी के ऊपर आधारित है। जिस तरह इंसान अपने घर में सुरक्षित है उसी तरह जानवर भी जंगल में नि:शंक रहता है। लेकिन जब कोई स्वार्थी तत्व जंगल को खत्म करने लगता है तो जानवर भी मजबूर होकर इंसानों पर हमला करने लगता है और फिर एक अनवरत युद्ध और क्षति दोनों ओर होती है। इसी को ध्यान में रखकर दोनों के बीच एक लकीर बनाने का संदेश यह फिल्म देती है।
फिल्म की कहानी शुरु होती है फिल्म के हीरो विहान के बचपन से। विहान(दिनेशलाल यादव निरहुआ) अपने पिता के साथ जंगल में घूम रहा होता है उसी समय उसके पिता उसे यह संदेश सुनाते हैं। फिर कहानी 20 साल बाद की शुरु होती है। चंदनपुर नामक गांव में एक मठिया माई नाम की तपस्वीनी रहती है। जिसकी बातों को हर कोई सम्मान करता है। उसके आदेशानुसार हनुमान जयंती मनायी जानी है। इसके लिए सभी आपस में विचार विमर्श करते हैं। जयंती रात के समय ही मनाई जा रही होती है उसी समय गबरु नाम बाघ इस जश्न में आ जाता है। सभी अपनी जान बचाने के लिए घरों में छिप जाते हैं। इसी समय प्रधान का बच्चा बाहर छूट जाता है जिसे विहान अपनी जान पर खेलकर बचाता है। इसमें उसके थोड़ी सी चोट भी लगती है। उसका देखभाल शिल्पा (आम्रपाली दुबे) करती है। वह डॉक्टरी पढ़कर गांव में ही रहती है। दूसरे दिन सुबह में फॉरेस्ट ऑफिसर भैरो सिंह अपने टीम के साथ आता है और गांव वालों को चेतावनी देता है कि वह जितना जल्दी हो गांव खाली करके चले जाएं। सरकार से वह उनके लिए मुआवजा दिलाएगा। इस पर विहान और ऑफिसर में कहासुनी हो जाती है। विहान कहता है कि मैं जानता हूं कि तुम एक बिल्डर राजवंश से मिलकर इस जंगल को उजाड़ना चाहते हो। गबरु का भय दिखाकर गांव वालों को ठग रहे हो। बीच में प्रधान आकर बीच बचाव करता है। फिर बात आगे बढ़ती जाती है और पास के तीन चार गांवों को खाली करा लिया जाता है।
दरअसल फॉरेस्ट ऑफिसर और बिल्डर में डील हो जाती है कि तुम मुझे जंगल का जमीन दिलादो मैं तुम्हें तीन चार फ्लैट फ्री में दे दूंगा। साथ ही पैसे भी दूंगा। इसी कार्य के तहत आसपास के गांवों को खाली कराया जा रहा होता है। चंदनपुर वाले इस बात से राजी नहीं है। विहान के पिता को इस बात की भनक लग जाती है तो वह उच्चअधिकारियों को शिकायत करते हैं। अधिकारी आकर शिकायत की तफ्तीश करता है और उसे गलत पाता है। इसी कारण विहान के पिता को ऑफिसर और बिल्डर मिलकर मार डालते हैं। इस बात को कोई नहीं जानता है। इधर चंदनपुर गांव में रजिया नाम की लड़की का निकाह तय होता है। ससुराल वाले आकर बोलते हैं कि बारात तब तक नहीं आ पाएगी जब तक या तो गबरु का मारा नहीं जाय या फिर शादी शहर में हो। विहान और उसके साथी इसकी गारंटी लेते हैं कि निकाह के दिन गबरु बाहर नहीं आएगा।
फिर सब मिलकर गबरु को पकड़कर पिंजरे में रखने का प्लान बनाते हैं। बिल्लू जो विहान का साथी है अपने साथ एक और दोस्त को लेकर फॉरेस्ट कार्यालय से जानवरों को बेहोश करने वाला सुई चुरा लेता है। जंगल में एक ऊंचे पेड़ पर मचान बनाकर गबरु की प्रतीक्षा होती है और किसी तरह गबरू को पकड़कर पिंजरे में बंद कर दिया जाता है। निकाह के समय नाच गाने के दृश्य के बीच भैरों सिंह, राजवंश और कुछ लोग पिंजरे के पास आकर बेहोश गबरु को सुई देकर होश में लाते हैं और पिंजरे से बाहर निकालते हैं। गबरु सीधा निकाह स्थल पर चला जाता है जहां रजिया सबको बचाने के खातिर गबरु केसामने आती है और मारी जाती है। दूसरे दिन भैरों सिंह आकर लोगों को फिर से धमकी देता है कि आप लोग जितना जल्दी हो घर खाली कर दें। जमीन का कागज उसके हवाले कर दें वरना गबरु सभी को मार देगा। उसी रात विहान और शिल्पा मिलकर एक प्लान बनाते हैं और गबरु को पकड़कर कर छिपा देते हैं। सुबह में जब गांव वाले घर खाली करने लगते हैं तो वह ऐसा करने से मना करता और उनके दिए गए दस्तावेजों को फाड़ देता है। यह कहता है कि अब गबरु से डरने की जरूरत नहीं क्यों कि गबरु को उसने मार दिया है।
बिल्डर और भेरों सिंह को यह बात नागवार गुजरती है। वह पता लगाता है कि ऐसा कैसे हो गया। मठिया माई और उसके साथी जो भैरों सिंह के जासूस होते हैं वे बताते हैं कि विहान ने सचमुच गबरु को मार कर नदी के किनारे दफना दिया है। उच्च अधिकारी को बुलाया जाता है और यह बात बतायी जाती है। अधिकारी उस जगह पर जाता है जहां गबरु को दफनाया जाता है लेकिन उसे कुछ नहीं मिलता है। इस समय भैरों सिंह और उसके सभी जासूसों की पोल अधिकारी के सामने खुल जाती है। फॉरेस्ट अधिकारी उसे निलंबित करता है और गांव से चले जाने को कहता है। इससे खुश होकर गांव वाले खुशी से झूम उठते हैं। कहानी लगभग खत्म ही होती है कि विहान के साथी बिल्लू, प्रधान और एक और साथी फॉरेस्ट ऑफिसर के ऑफिस पर जाते हैं। वहां राजवंश, भैरोसिंह, मठियामाई आदि मिलकर फॉरेस्ट अधिकारी को कुर्सी से बांधकर उसे धमकाते हुए उसकी हत्या कर देते हैं। यहीं पर विहार के पिता को मारने की बात भैरों सिंह बोलता है। जिसकी खबर यह सभी गांव में आकर सुनाते हैं। फिर आर पार की लड़ाई में भैरों सिंह, राजवंश और उसके साथी मारे जाते हैं। यहां से यह कहानी ज्यादा रोचक हो जाती है। किस तरह इनकी लड़ाई होती है आप फिल्म देंखेंगे तो पता चलेगा।
फिल्म की कहानी के साथ साथ गीत संगीत भी चलता है। वैसे सभी गाने ठीक हैं लेकिन एक गाना रंगवा सेनुरिया काफी अच्छा लगता है सुनने में। फिल्म के कलाकारों में जितने भी व्यक्ति हैं उन्होंने अच्छा अभिनय किया है। पूरी फिल्म विहान, शिल्पा, भैरों सिंह, राजवंश और गबरु के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है। फिल्म में किसी भी तरह का कोई अश्लील दृश्य या गाना नहीं है। आमतौर पर भोजपुरी फिल्म में यह बात आम रहती है कि एक दो अश्लील गीत होते ही हैं। यह एक पारिवारिक फिल्म है जिसे आप घर में परिवार के साथ देख सकते हैं। फिल्म अंत तक रोचकता बनाए रखती है।
No. | Song Name | Singer | Duration |
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1 | Zubaan Nahin Fail Hoyi Ho | Pamela Jain, Om Jha | 6:59 |
2 | Sadhe Tin Baje Sunday Ko | Indu Sonali, Om Jha | 3:40 |
3 | Bole Ghar Ke jangla Palani | Alok Kumar, Om Jha | 5:10 |
4 | Rangwa Senuriya (Lyrics Here) | Kalpana Patowary, Om Jha | 4:00 |
5 | Jiski Deewani Sari Janta Dekho O Hanumanta | Om Jha | 6:41 |
नोट: फिल्म रिव्यू, एल्बम रिव्यू के लिए संपर्क करें:akhilsristypriya@gmail.com
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