Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Breaking News:

latest

Ads

Advertisement


वैलेंटाइन डे: तुम्हारी नजरों की शरारतों ने हमें प्यार करना सिखाया Valentine's Day: The mischief in your eyes taught us to love

एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है इस पंक्ति को जब भी मैं सुनता हूं तो तुम्हा...


Ads by Eonads


Khushiji.com

एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है

जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है

khushiji.com

इस पंक्ति को जब भी मैं सुनता हूं तो तुम्हारे साथ बिताए वो पल याद आते हैं जो कभी हमारा तुम्हारा मिलन स्थल था। वो तेरे पीछे से आना और जब चुपके से निकलते हुए चले जाने के समय नजरें मिलाना आज भी वही एहसास और वही आनंद देता है। काश! वह पल एक बार फिर से हमारे साथ हो जाता। लेकिन हम अब उस समय और उस दुनिया से इतने आगे निकल चुके हैं कि अब वह चाहकर भी मिल जाए तो वह मन, वह उत्साह और वे साथ निभाने की उत्सुकता नहीं आ सकती। 

khushiji.com

...और प्यार बढ़ता ही गया


इतना तो तुम भी जानती हो और यह समझती हो कि हम एक साथ रह नहीं सकते। इस दुनियादारी के चक्कर में हम एक साथ रहते भी तो कैसै? तुम तो मेरे साथ रहने के तैयार भी थी लेकिन मैं उस पल को समेट ना सका। मेरी कुछ इस तरह की मजबूरियां थीं कि मैं तुम्हें अपना बना नहीं सकता था। फिर भी यह जानते हुए हमने जो उन यादगार लम्हों को जीया है तो बस अपने ही हैं। उनको याद करते हुए एक हंसी और खुशनुमा वासंती चादर सी छा जाती है। कितने ही पलों को तुम्हें आते हुए देखना और नजरें मिलना काफी सुकुन सा देता था। शायद तुम भी उसी नजरों को ढूंढती रहती थी कि कभी मेरी ओर एक बार देख ले। मेरी नजरों से नजरें मिला ले। तुम्हारा बार बार रूठने और मेरा भी गुस्सा होना एक अलग तरह का माहौल बनाता था। लेकिन इस माहौल में एक दूसरे के प्रति प्यार और बढ़ाने वाला ही था। यह प्यार बढ़ता ही गया। 

प्यार का लहर एक जाल


तुम्हारे जाने के बाद कुछ और शरारतों ने मेरा पीछा किया लेकिन मेरी उनसे निभ नहीं सकी। निभती भी तो कैसे? मैं तो बस तुम्हें ही चाहता रहा और तुम्हारी ही चाहत में डूबा रहा। यह सच है कि ना तो मैंने तुम्हें कभी कुछ कहा ना तुमने मुझे कुछ कहा लेकिन नजरों की भाषा ने हमारे लिए एक नए सोशल मीडिया का रूप लिया। जिसमें हम एक दूसरे के भावों को पढ़ते रहे और समुद्र की सी लहरों में गोते खाते रहे। यह लहर प्यार का एक जाल था जिसे हमने ओढ़ा, पहना और साथ में रखा था। 

khushiji.com

दो नजरों से पूरी दुनिया देख ली


कभी मन करता था तुम्हारे साथ कई सारे बातों को रखूं लेकिन तुम्हारे कुछ ख्यालों की वजह से मैंने उसे जाहिर नहीं किया। क्यों जाहिर करना? जब हम एक दूसरे की हर बात को यूं ही समझते रहे तो कहने की जरूरत ही क्या थी। किसी बात को अधिक महत्व तब दिया जाता है जब उसे सामने वाले को बताना जरूरी हो। लेकिन ऐसी कोई बात नहीं थी कि जिसे हम और तुम न समझते हों। भले ही हफ्ते में एक या दो बार मिले लेकिन उन दिनों की सारी बातें नजर मिलते ही बयां हो जाती थी और हमारी सारी शिकायतें भी दूर हो जाती थी। सच तो यह है कि जब प्यार होता है तो उसमें किसी भी तरह की कोई इच्छा रहती ही नहीं है। तुम क्या चाहती थी और मैं क्या चाहता था इसकी कोई जरूरत ही नहीं पड़ी। दो नजरों से पूरी दुनिया यूं ही देख ली हमने जो कभी संभव ही नहीं था। तुम्हारे रुठकर चले जाने के बाद तुम्हारी सहेलियों ने भी साथ देने का वादा किया लेकिन हम तो तुम्हारे थे क्योंकर किसी और के साथ हो जाते? 


ये भी पढ़ें


तुम तो मुझे कहीं भी कभी भी देख लेती थीं लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सका। मैं अपने लिए एक ऐसा जहां बसा गया जहां से मैं तुम्हें कभी देख भी नहीं सकता था। चाहा तो कितना कि तुम्हें तुम्हारे घर तक आता और तुम्हें देखता लेकिन तुम्हें किसी की नजरों से गिरता हुआ देखना मुझे अच्छा नहीं लगता इसी को सोचकर नहीं आ सका। प्यार करना इतना भी आसान नहीं है जितना लोग समझते हैं। सिर्फ शारीरिक संबंध बना लेने से सच्चा आशिक हो जाए यह कहना बिल्कुल गलत है। 

khushiji.com

प्यार कभी उम्र नहीं देखता


मेरा मन हमेशा तुम्हें बिना किसी बंधन के साथ चलने वाले का सा रहा है। भले ही तुम और हम एक नई दुनिया की तरफ चल पड़े हैं लेकिन मन और दिल तो एक ही रहेगा। बस मैं तो यही चाहूंगा कि इस दुनियादारी के चक्कर में कभी मुझे भूलना मत। कभी अपने को दुखों से घिरा समझ कर गलत राह पकड़ना मत। यह सोचना कि यह दुख बस यूं ही कट जाएगा कभी न कभी तो हम मिलेंगे ही। जिंदगी बड़ी है और उसे आखिर तक तो हमें मिलाना ही होगा। प्यार कभी उम्र नहीं देखता। इसके लिए कोई जगह और स्थिति नहीं होती है। हमारी कहानी एक गीत की कुछ पंक्तियों से हुई थी और समाप्त भी उन्हीं के साथ हुई। मैं अब यही गजल गुनगुनाता हूं कि 

ना जी भर के देखा ना कुछ बात की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की



No comments