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Poem ( Love Letter): दिलवर की रिहाई Dilber Ki Rihayee

  दिलवर की रिहाई Dilber Ki Rihayee इंतजार, इजहार, प्यार संग, प्रीत की सारी रीत निभाई। दिल पर पत्थर रख दिलवर को, दिल की कैद से दे दी र...


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 दिलवर की रिहाई Dilber Ki Rihayee


इंतजार, इजहार, प्यार संग,

प्रीत की सारी रीत निभाई।

दिल पर पत्थर रख दिलवर को,

दिल की कैद से दे दी रिहाई।।.....


धोखे से अपना दीवाना बनाया,

छलिया, छल से मुझे रिझाया।

समझ, बुद्धि कुछ काम न आई,

आँख से ऐसे तीर चलाया।


धड़कन पर कुछ लिख दिया उसने,

मुझसे नहीं जाती है मिटाई।

दिल पर पत्थर रख दिलवर को,

दिल की कैद से दे दी रिहाई।।....


चोरी-चोरी, चुपके-चुपके,

नैनों से सब लूट गया वो।

गिरफ्तार कर दिल में रखा तो,

बिना जमानत छूट गया वो।


इश्क में हारी, मैं बेचारी,

होगी अब मेरी रुसवाई।

दिल पर पत्थर रख दिलवर को,

दिल की कैद से दे दी रिहाई।।.....


पंडित जी से मंत्र पढा दो,

मौलवी से ताबीज़ मँगा दो।

मोर के पंख से मुझे झाड़ दो,

पीर-फकीर से धागे बँधा दो।


उसके जादू से बचा लो मुझको, 

शायर,कवि, दोस्त और भाई।

दिल पर पत्थर रख दिलवर को,

दिल की कैद से दे दी रिहाई।।......


एस के जूही ( विशाखापट्नम)


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