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झमकुड़ी Jhamkudi Gujarati Film Review

झमकुड़ी, Jhamkudi, જમકુરી, दोस्तो आज मैं आपके लिए एक गुजराती िफल्म का रिव्यू लाया हूं। यह फिल्म हॉरर, थ्रिरल और कॉमेडी से भरपूर है। इसमें सभ...


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झमकुड़ी, Jhamkudi, જમકુરી, दोस्तो आज मैं आपके लिए एक गुजराती िफल्म का रिव्यू लाया हूं। यह फिल्म हॉरर, थ्रिरल और कॉमेडी से भरपूर है। इसमें सभी कलाकारों ने बहुत ही अच्छा अभिनय किया है। आप इसे देखने के बाद बार बार जरूर इस फिल्म को देखेंगे। इस फिल्म को निर्देशित किया है उमंग व्यास(Umang Vyas) ने। कहानी लेखन हीथ भट्ट(Hith Bhatt) का है। मुख्य कलाकारों में मानसी पारेख(Mansi Parekh), विराज घेलानी(Viraj Ghelani) संजय गोडादिया(Sanjay Godadiya), चेतन दैया(Chetan Daiya) आदि हैं। इस फिल्म के प्रोडयूसर हैं पृथ्वी गोहिल(Prithavi Gohil), मानसी पारेख(Mansi Parekh)। सह प्रोडयूसर धवल ठक्कर(Dhaval Thakkad)। फिल्म का डिस्ट्रब्यूशन रूपम इंटरटेनमेंट (Rupam Entertainment) ने किया है।  तो आइए इसकी कहानी से शुरुआत करते हैं। 

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फिल्म की शुरुआत


फिल्म की शुरुआत कुछ ऐसा होता है कि रानीवाडा (Raniwada) नामक गांव के एक घर की छत पर एक लड़की मोबाइल पर गाने सुन रही होती है। उसके पिताजी आकर उसे बोलते हैं कि बेटी सो जाओ रात काफी हो गई है। बेटी बोलती है कि हां पिताजी मैं सो जाती हूूं। लेकिन पिताजी के जाते ही वह फिर से मोबाइल में बिजी हो जाती है। उसी समय एक साया पास से गुजरता है। लड़की हो एक भ्रम जैसा लगता है। कुछ देर बाद फिर वही घटना होती है। इस बार भी उसे भ्रम ही लगता है। फिर कुछ देर बाद लड़की को कोई खींच ले जाता है। एक तालाब पर तीन लड़कियां गरबा सीख रही होती है। उसमें एक किंजल नाम की लड़की उसे गरबा सिखाती है। उसी समय गांव का सरपंच आता है और उसे गरबा सीखने से मना करता है। कहता है कि झमकुड़ी डायन इसी गरबा करने वालों पर हमला करके उसे ले जाती है। जिस जिस ने भी गरबा किया उसे गायब कर दिया गया। 

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नए लोगों का आगमन


 फिर कहानी दूसरे दिन गांव में चर्चाओं का माहौल गर्म रहता है। इसी बीच एक मनसुख ढोलकिया नाम का रिडेवलपमेंट एजेंट का गांव के बाहरी सीमा पर आना होता है। वहां चाय की एक दुकान पर उसकी मुलाकात दुकानदार से होती है। वह रानीवाडा का रास्ता पूछता है तो दुकानदार बोलता है कि वहां जाने का क्या काम है। तो वह बोलता है कि वह एक दलाल है और मकान बेचने का काम करता है। रानीवाडा महल को बेचने के लिए वह देने आया है। फिर वह वहां के लोकल दलाल बाबूभाई मिस्त्री से मुलाकात होती है। वह उसे रानीवाडा महल को दिखाने ले जाता है। वहां उसे कुछ अजीब सा लगता है। जैसे पानी का फव्वारा अपने आप चलने लगता है तो कभी खिड़की अपने आप खुल जाती है। इस पर वह बाबूभाई से इस बारे में पूछता है तो वह उसे टाल कर महल घुमाता है। एक तहखाने का पता चलने पर वह उसमें जाने की जिद करता है। बाबूभाई उसे मना करता है कि जो इस तहखाने में गया वह वापस नहीं आ पाया है। लेकिन मनसुख इस बात को टालते हुए बाबूभाई को भी अंदर ले जाता है। वहां पर बाबूभाई को उस भूतिया महल के बारे में जो पता होता है उसे दिखाई देता है। वह भाग कर बाहर निकलता है तो पुलिस इंस्पेक्टर ओमकार मिलता है। उसे सभी बात बताने पर वह भी मनसुख को ढूंढने अंदर जाता है लेकिन अंदर में वह झमकुड़ी भूतनी के बारे में बताता है। दोनों किसी तरह जान बचाकर बाहर निकलकर गांव में आते हैं। 

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हीरो हीरोइन का मिलना और झमकुड़ी की चाल


इधर फिल्म का हीरो बबलू और उसका दोस्त घेलचंद्र दोनों को पुलिस पकड़कर अंदर जेल में डाल देती है। वहंा उसकी मुलाकात एक योगी से होती है जो उसका भविष्य बताता है कि तुम्हें 100 लड़कियों से शादी होगी। इस बात को कोरी कल्पना मानकर वह उसकी पिटाई करता है। पुलिस वाले उसे वहां से निकालकर रानीवाडा गांव लाते हैं। जहां उसका घर भी है। वहीं पर उसकी मुलाकात फिल्म की नायिका कुमुद से होती है। वहां वह अपनी डींगे हांकता हुआ गांव में आता है। उधर गांव की राजकुमारी जिसके पिता की हवेली रानीवाडा में होती है उसकी संपत्ति को लेकर भाई विश्वजीत से झगड़ा होता है।  इधर  बबलू और उसका दोस्त घेलचंद्र गांव वालों के सामने आकर कहता है कि वह झमकुड़ी नाम की डायन से इस गांव को मुक्ति दिलाएगा। इसी बीच एक और लड़की सपना गायब हो जाती है। इसके बाद गांव वालों के साथ बैठक कर बबलू और उसके दोस्त रात में पूरे गांव की निगरानी करने का फैसला करते हैं। इसमें उसके साथ कुमुद भी साथ देती है। रात में पहरेदारी के समय तीन भूत मिलते हैं। अलग अलग जगहों पर देखे गए भूत उन तीनों का पीछा करते हुए एक साथ आते हैं तो भांडा फूटता है कि वे तो मनसुख धोलकिया और उसके दो दोस्त हैं। उन्हें गांव में झमकुड़ी नाम की भूतनी का डर फैलाकर विश्वजीत रानीवाडा महल पर कब्जा करने का सपना देख रहा है। इस कारण इंस्पेक्टर ओमकार विश्वजीत को पकड़कर थाने में बंद कर देता है। 

झमकुड़ी का आना और दहशत


लोगों के मन से झमकुड़ी नाम की भूतनी का डर निकल जाता है। इस खुशी से एक रात गरबे का आयोजन िकया जाता है। गांव की सभी लड़कियां और औरतें गरबा करती है। गरबा में कुमुद भी नाचती है। गरबे के अंत में नाचते नाचते सभी थक जाते हैं लेकिन कुमुद नाचती रहती है और जब उसे उसकी बुआ रोने अाती है तो वह झमकुड़ी डायन बन जाती है। उसी दिन से वह भी गायब हो जाती है। क्या झमकुड़ी के दहशत से रानीवाडा के लोग मुक्त हुए? कुमुद और तीन और लड़कियों का क्या हुआ जो गायब हुई?  बबलू और उसके दोस्त क्या इस बात का पता लगाने में कामयाब हुए? इन सब प्रश्नों का उत्तर आपको फिल्म देखने पर मिलेगा। अंत में बड़ा ही रोचक ढंग से फिल्म चलती है। 

समीक्षा


फिल्म झमकुड़ी एक कॉमेडी थ्रिलर हॉरर फिल्म है। इसमें उतना ज्यादा कोई हॉरर नहीं जिससे लोगों मे डर पैदा हो लेकिन देखने में रोचक जरूर है। कहानी भी बहुत ही साधारण है जिसे लोगों में जिज्ञासा थोड़ी ही हो पाती है। इसे देखने पर रोचकता बढ़ती जाती है। जो अंत तक चलती है। फिल्म के गाने सुनने लायक हैं। 

Directed by: Umang Vyas; Written by: Heath Bhatt; Produced by: Parthiv Gohil, Manasi Parekh; Starring: Manasi Parekh, Viraj Ghelani, Sanjay Goradia, Ojas Rawal; Cinematography: Titu Kumar Jena; Production companies: Soul Sutra, RD Brothers; Distributed by: Rupam Entertainment Pvt Ltd; Release: 31 May 2024; Running time: 153 minutes; Language: Gujarati

नोट: फिल्म रिव्यू, एल्बम रिव्यू के लिए संपर्क करें:akhilsristypriya@gmail.com



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