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चलो चलें स्नान करने कुंभ मेला--Chalo Chalen Snana Karane Kumbha Mela--कविता Poem

चलो चलें स्नान करने कुंभ मेला   चलो चलें स्नान करने कुंभ मेला  प्रयाग में लगा है महाकुंभ मेला। साधु संतों, भक्त जनों का आया है पावन मेला...


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चलो चलें स्नान करने कुंभ मेला 


चलो चलें स्नान करने कुंभ मेला 

प्रयाग में लगा है महाकुंभ मेला।

साधु संतों, भक्त जनों का आया है पावन मेला।

देश-विदेश से आते लोगों का ठेलम ठेला।

महंत-संतों का ठन जाता है पहले स्नान का झमेला।

चलो चले प्रयाग कुंभ मेला।

बारह वर्षों पर लगता है कुंभ मेला।

कभी नासिक तो कभी प्रयाग में मेला।

गंगा में डुबकी लगाने से शुद्धिकरण हो जाता है।

धुल जाते हैं सभी पाप, और मन पवित्र हो जाता है।

चलो चलें कुंभ मेला....।

देख संतों का विहंगम स्वरूप अजब नजारा रहता है।

बड़े-बड़े संतों का अखाड़ा दिन-रात भंडारा हो जाता है।

दान-पुण्य करते सभी मन से, मेला का लुफ्त उठाते हैं।

उत्साहित प्रसन्न होकर, सनातन का धर्म निभाते हैं।

सनातन धर्म के प्रबल- प्रेम में सभी हिन्दु मिल जाते हैं।

नहीं रहता कुछ भेद-भाव, सब एकजुट हो जाते हैं।

इस साल का कुंभ मेला, नया इतिहास रचने वाला है।

सुना है कि इस मेले में पचास करोड़ लोग आनेवाला है।

सनातन धर्म निभाने में मोदी-योगी जी का सहयोग अपार है।

ठहरने और सुरक्षा की व्यवस्था, योगी शासन का अभार है। 

ओमप्रकाश लाल


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