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हमारे यहां तो रोज होती है होली... Hamre Yahan To Roj Hoti Hai Holi...कविता Poem

हमारे यहां तो रोज होती है होली... जब भी सुनाता हूं कविता  आँखें कर लेती हैं लाल पीली..! हम समझते हैं कि अब  निकलेगी कोई बात रंगीली..!! ...


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हमारे यहां तो रोज होती है होली...


जब भी सुनाता हूं कविता 

आँखें कर लेती हैं लाल पीली..!

हम समझते हैं कि अब 

निकलेगी कोई बात रंगीली..!!

बात रंगीली से और हो जाती हैं गुस्सा..!

कहती हैं उम्र बढ़ रही है 

और सुनाते हैं प्रेम भरी किस्सा...!!

अरे अब तो लीजिए राम का नाम

बुढ़ापे में यही आयेगा काम..!!

काम शब्द सुनकर मेरा ध्यान भटका..!

फिर मुहब्बत भरी बातों में 

मन मेरा अटका..!!

सोचा ज्यादा बोलने से 

अब बरसेगी  बेलन रूपी रंग ..!

सम्हाल नहीं पाएंगे 

हो जाएगा रंग में भंग..!!

कहा हे प्रिय अब सो जाइए 

कल बनानी है आपको रंगोली..!

दोनों मिलकर खूब 

खेलेंगे फागुन की मस्ती भरी होली..!!! 

मुकेश कर्ण 



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